सोमवार, 13 सितंबर 2021

हिंदी :कुछ क्षणिकाएं

 हिंदी दिवस के अवसर पर कुछ कविताएं 


हिंदी : कुछ क्षणिकाएं

रौशनी जहाँ

पहुंची नहीं

वहां की आवाज़ हो

भाषा से

कुछ अधिक हो

तुम हिंदी

खेत खलिहान में

जो गुनगुनाती हैं फसलें

पोखरों में जो नहाती हैं भैसें

ऐसे जीवन का तुम संगीत हो

भाषा से

कुछ अधिक हो

तुम हिंदी

बहरी जब

हो जाती है सत्ता

उसे जगाने का तुम

मूल मंत्र हो

भाषा से

कुछ अधिक हो

तुम हिंदी.

४ 


तुम मेरे लिए

मैथिली, अंगिका, बज्जिका

मगही, भोजपुरी

सब हो .

3 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 14 सितम्बर 2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. शुभकामनाएं हिंदी दिवस की | सुन्दर सृजन |

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  3. हिंदी को मन से अपनाने की ज़रूरत है ।।

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