पुराने सिक्के
जैसे पिता मौजूद हों सामने
रख दी हो उन्होंने हाथ में
सपनों को खरीद लेने की ताकत
पुराने सिक्कों को देख कर
मां को याद आ जाते हैं पिता
पंच पैसी या दस पैसी
चवन्नी अठन्नी या रूपया को देख
पिता के संग यात्रा कर लेती है वह
संदूकची में पड़े
पुराने सिक्कों को देख
पिता तो याद करती हैं मां
वे धुंधली आंखों से पहचान जाती है उन्हें कि
कब, किस मौके पर दिए थे उन्होंने
चवन्नी या अठन्नी
पुराने सिक्के
भले कोई मोल न हो उनका
फिर भी बहुमूल्य हैं वे, अनमोल हैं वे।
वाह
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर।
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (28-9-21) को "आसमाँ चूम लेंगे हम"(चर्चा अंक 4201) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
शुक्रिया कामिनी जी
हटाएंवाह। बहुत सुन्दर। अन्तरतल को भीगो गई यह रचना।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत ही सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार..
जवाब देंहटाएंगहनतम लेखन।
जवाब देंहटाएंजिनमें यादें नीहित हों वे अनमोल तो होंगे ही।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सृजन।
वाह!!!
हृदयस्पर्शी सृजन।
जवाब देंहटाएंसादर
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