शुक्रवार, 10 सितंबर 2021
आत्महत्या
उदासियों से भरी इस दुनिया में
रहना यदि उदास करता है तुम्हें तो
चलो खत्म करते हैं अपना जीवन
लेकिन जीवन खत्म करने से पहले
चलो मिल आते हैं किसी नेत्रहीन से
या फिर किसी दोनो पैरों से अशक्त से
नहीं तो जिसने गंवाए हैं अपने हाथ
चलो उसी से मिल आते हैं एक पल।
ऐसा कभी कोई मिला है तुम्हें
जिसने खो दिया है अपने किसी प्रिय को
हाल ही में लेकिन उन्होंने रखा हौसला
कितने ही रोज सोते हैं भूखे
खुले आसमान में
लेकिन उन्होंने नहीं चुना अभी तक मृत्यु,
जबकि उनके पास था मृत्यु के वरण का
ठोस कारण।
मृत्यु का चुनना
हमारा अधिकार नहीं
हम तो केवल ईश्वर के इस सुन्दरत्तम सृजन के
एक रूप हैं।
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बहुत ही मुश्किल सवाल है
जवाब देंहटाएंमर लिए से फिर कैसे कोई पूछे
क्यों मरा क्या सवाल है?
हाँ समझना और समझाना जरुरी है |
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 12 सितम्बर 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (12-9-21) को "है अस्तित्व तुम्ही से मेरा"(चर्चा अंक 4185) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएंआप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
बहुत ही सुन्दर प्रश्न उठाती रचना
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छा संदेश देता शानदार लेख
जवाब देंहटाएंसंदेशात्मक! गहन विषय पर छोटा पर सारगर्भित संदेश।
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