लगाते लगाते
गंगा में डुबकी
हमलोगों ने नहीं रहने दिया
गंगा को स्नान के लायक
नहीं रहने दिया गंगाजल को पवित्र
लगाते लगाते
गंगा में डुबकी
पहुंचा दिया हमलोगों ने
गंगा की मछलियों को
विलुप्ति के कगार पर
लगाते लगाते
गंगा में डुबकी
अपशिष्टों से भर दिया
इसकी तलछटी कि
प्रवाह कम हो गया नदी का
लगाते लगाते
गंगा में डुबकी
एक दिन बिलुप्त हो जाएगी गंगा
और रह जाएगी
बस चित्रों और स्मृतियों में !
और फिर आदमी उतार लाएगा एक और गंगा विलुप्त करने के लिए
जवाब देंहटाएंकविता को आगे बढ़ाती हुई संक्षिप्त टिप्पणी ।
हटाएंसटीक
जवाब देंहटाएंडूपकी लगाने से ज्यादा शायाद हमारे स्वार्थ ने किया है ये सब... गंगा माँ डूपकी का फल तो आज भी दे रही हैं पर स्वार्थ को माफ़ न करेंगी शायद ...
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