बुधवार, 29 जनवरी 2025

गंगा में डुबकी

लगाते लगाते 

गंगा में डुबकी 

हमलोगों ने नहीं रहने दिया 

गंगा को स्नान के लायक 

नहीं रहने दिया गंगाजल को पवित्र 


लगाते लगाते 

गंगा में डुबकी 

पहुंचा दिया हमलोगों ने 

गंगा की मछलियों को 

विलुप्ति के कगार पर 


लगाते लगाते 

गंगा में डुबकी 

अपशिष्टों से भर दिया 

इसकी तलछटी कि

प्रवाह कम हो गया नदी का 


लगाते लगाते 

गंगा में डुबकी  

एक दिन बिलुप्त हो जाएगी गंगा 

और रह जाएगी 

बस चित्रों और स्मृतियों में ! 


4 टिप्‍पणियां:

  1. और फिर आदमी उतार लाएगा एक और गंगा विलुप्त करने के लिए

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  2. डूपकी लगाने से ज्यादा शायाद हमारे स्वार्थ ने किया है ये सब... गंगा माँ डूपकी का फल तो आज भी दे रही हैं पर स्वार्थ को माफ़ न करेंगी शायद ...

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