इतिहास का
हुआ है विभाजन
समय, काल और
घटनाओं के हिसाब से
जैसे जैसे
लिखा गया इतिहास
वर्तमान बदलता गया
भूत में
इतिहास में
समय के हिसाब से
यह समय
जो कल बन जाने वाला है
इतिहास
हाशिये पर
रखने का समय है
हाशिया
जो अलग करता है
मुख्यधारा और सहयोगी धारा को
वहां खड़े कर दिए गए हैं
लोग
वे लोग
जिन्होंने माँगा
अपने हाथों के लिए काम
भूख मिटाने के लिए
मांगी रोटी
चाहा शांति और सुकून
जिन्होंने
अपनी नज़रों को
बाज़ार की चमक से
खुद को कर लिया था अलग
जिन्होंने
अपनी जुबां को
किया था मजबूत और
उठा दी थी
व्यवस्था और सिस्टम के विरूद्ध
बुलंद आवाज
सब मिल जायेंगे
हाशिये पर
कुछ लोगो ने
बना ली है
अपने और अपनों के बीच
दूरी
मांगने लगे हैं
पर्सनल स्पेस
उन्होंने
रिश्तो को पहुंचा दिया है
हाशिये पर
और
जब लिखा जाएगा
हम और हमारे समय का
इतिहास
कहीं जिक्र नहीं होगा
हाशिये पर पहुंचे लोगों को
जिन्होंने बनाया है
वर्तमान
ए़क खूबसूरत बर्तमान
जिन्होंने बनाया है
जवाब देंहटाएंवर्तमान
ए़क खूबसूरत बर्तमान
Oh ! Kya gazab alfaaz hain!
.....किन लफ़्ज़ों मे प्रशंसा करूँ अरुण जी
जवाब देंहटाएंरिश्तों को हाशिए पर ....बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंएक दिन हम सब भी हाशिये पर चले जायेंगे, समय के।
जवाब देंहटाएंजब लिखा जाएगा
जवाब देंहटाएंहम और हमारे समय का
इतिहास
कहीं जिक्र नहीं होगा
हाशिये पर पहुंचे लोगों को
जिन्होंने बनाया है
वर्तमान
ए़क खूबसूरत बर्तमान
शिल्प के जादू से युक्त कविता में हासिए पर के लोगों की चिंता बड़े ही मुखर रूप में व्यक्त हुई है।
हाशिये पर पहुंचे लोगों को
जवाब देंहटाएंजिन्होंने बनाया है
वर्तमान
ए़क खूबसूरत बर्तमान ,,,,,
aapke kalmo ka jadu sir chadd kar bol raha hai!!'
जब लिखा जाएगा
जवाब देंहटाएंहम और हमारे समय का
इतिहास .............
तो आपकी कलम का ज़िक्र ज़रूर होगा..अद्वितीय !!
बेहद उम्दा प्रस्तुति…………………एक दिन सब हाशिये पर ही पहुँच जाता है।
जवाब देंहटाएंहाशिये पर पहुंचे लोगों को
जवाब देंहटाएंजिन्होंने बनाया है
वर्तमान
ए़क खूबसूरत बर्तमान बड़ी गहरी बात है....बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
और
जवाब देंहटाएंजब लिखा जाएगा
हम और हमारे समय का
इतिहास
कहीं जिक्र नहीं होगा
हाशिये पर पहुंचे लोगों को
जिन्होंने बनाया है
वर्तमान
ए़क खूबसूरत बर्तमान
Kya gazab khayal hai ye! Anupam rachana!
comment through email :
जवाब देंहटाएंसच्ची और अच्छी कविता है.
बधाई अरुण जी!
धन्यवाद!
आलम ख़ुर्शीद