बुधवार, 1 सितंबर 2010

सुखद हरा रंग

पत्तों पर
कभी देखा है
धूप को टिकते हुए..
पत्तों का रंग
कितना सुखद हरा
होता है ।

ये हरीतिमा
प्रतीक है
जीवन की
सुख और
शांति की
वैभव और
समृद्धि की ।

हरियाली लाती है
सन्देश
भरपूर है चराचर
और अपनी सृष्टि
साँसे ले रही
तरुणाई
हो रही
पतझड़ की भरपाई ।

इसी हरे रंग में
समाई है
जीवन की उर्जा
ऊष्मा और
इसमें ही
रमी
रिश्तों की नमी ।

कभी देखना
मेरा चेहरा भी
तुम्हारी आभा से
कैसे खिल जाता है
और हो जाता है
सुखद हरे रंग जैसा ।

वही हरा रंग
जो ओढती हो तुम
पहनती हो
वही हरा रंग
जो जीवंत है
तुममें ।

11 टिप्‍पणियां:

  1. bhut khub hre rng ki mhimaa jo aapne byaan ki he voh to gaandhi ji or raashtriy dhvj men hraa rng bhrne vaali kmeti ko bhi ptaa nhin hoga shayd isiliyen muslim dhrm men profet mohmmd ko hra rng bhut bhut psnd hona btaya gya he . akhtar khan akela kota rajsthan

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  2. अच्छी कविता ...अंतिम पंक्तियाँ तो बहुत ही अच्छी लगीं.

    कृष्ण जन्माष्टमी के मंगलमय पावन पर्व अवसर पर ढेरों बधाई और शुभकामनाये ...

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  3. बहुत सुन्दर!


    श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाये

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  4. वाह ! क्या बात है ...बहुत खुबसूरत रचना .
    आपको सपरिवार श्री कृष्णा जन्माष्टमी की शुभकामना ..!!
    बड़ा नटखट है रे .........रानीविशाल
    जय श्री कृष्णा

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