१
बेटी की
आँख में आसमान
और अंजुरी में
समंदर होता है
बेटी
होती है
प्रकृति के
सबसे करीब
२
बेटी
का मन होता है
उजला चाँद
और मस्तिष्क में
सम्पूर्ण ब्रम्हांड
बेटी
होती है
प्रकृति के
सबसे करीब
३
बेटी
का चेहरा फूल
हाथ हैं शाखाएं, पत्ते
और पैरों में होती हैं जड़ें
बेटी
होती है
प्रकृति के
सबसे करीब
४
बेटी
मरने के बाद भी
नहीं मरती
और मारने के
बाद भी नहीं
गौर से देखो
बेटी
प्रकृति के
सबसे करीब नहीं होती
बेटी ही प्रकृति है
poorn roop se sahmat.......
जवाब देंहटाएंbahut sunder bhav.....
aabhar
वाह!वाह !
जवाब देंहटाएंकरना मेरा स्वभाव नहीं .फिर भी वाह -वाह .और कोई शब्द है ही नहीं -इन सुन्दर कविताओं के लिए मेरे पास .
पहले थीं अभिशाप बेटियां आज बनी वरदान बेटियां
जवाब देंहटाएंडाटर्स डे दिवस की बहुत बधाई....
बेटी
जवाब देंहटाएंका चेहरा फूल
हाथ हैं शाखाएं, पत्ते
और पैरों में होती हैं जड़ें
अतिसुन्दर भावाव्यक्ति , बधाई के पात्र है
बहुत सुन्दर ..
जवाब देंहटाएंबेटी
प्रकृति के
सबसे करीब नहीं होती
बेटी ही प्रकृति है
सच है ...
अरुण जी अगर आज मैं यह कहूं कि कविता मेरे लिए बेटी जैसी है तो अतिश्योक्ति नहीं होनी चाहिए। मैं जिस तरह से अपनी हर बेटी को पालपोस कर बड़ा करता हूं,अगर उसी तरह अन्य कवि भी उस पर ध्यान देते हैं,तो खुशी होती है।
जवाब देंहटाएंमुझे खुशी हो रही है कि आखिरकार कविता लेखन में आपने मेरे सुझावों को गंभीरता से अमल में लाना शुरू कर दिया है।
बेटी के बहाने सारी दुनिया को संबोधित ये संवेदनशील कविताएं इसका प्रमाण हैं। इन कविताओं के साथ मैं आपको उस पायदान पर देख रहा हूं,जहां देखना चाहता था। अरुण जी इस पायदान पर खड़े रहने के लिए कहीं अधिक मेहनत करनी होगी।
बेटी
जवाब देंहटाएंप्रकृति के
सबसे करीब नहीं होती
बेटी ही प्रकृति है
बेटियाँ तो वाकई प्रकृति हैं
सच कहा...सुन्दर!!
जवाब देंहटाएंडाटर्स डे की बहुत बधाई...
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (27/9/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
बहुत ही करीने से नाम दिए आपने...बहुत प्यारी कविता
जवाब देंहटाएंबेटी ही प्रकृति है... संसार का प्रथम सत्य यही तो है...यथार्थवादी कविता ...श्रेष्छ रचना।
जवाब देंहटाएंबेटी की
जवाब देंहटाएंआँख में आसमान
और अंजुरी में
समंदर होता है
बेटी की
आँख में समंदर
और अंजुरी में
आसमान पा लेने की चाहत....
अरुण जी गुस्ताखी माफ अगर ऐसा पढू तो आपको बुरा तो नहीं लगेगा न ?
बहुत बहुत सुंदर वर्णन और अभिव्यक्ति.
बेटा प्रेम है, बेटी पूजा है - पंकज त्रिवेदी
जवाब देंहटाएंबेटा वारस है, बेटी पारस है |
बेटा वंश है, बेटी अंश है |
बेटा आन है, बेटी शान है |
बेटा तन है, बेटी मन है |
बेटा मान है, बेटी गुमान है |
बेटा संस्कार, बेटी संस्कृति है |
बेटा आग है, बेटी बाग़ है |
बेटा दवा है, बेटी दुआ है |
बेटा भाग्य है, बेटी विधाता है |
बेटा शब्द है, बेटी अर्थ है |
बेटा गीत है, बेटी संगीत है |
बेटा प्रेम है, बेटी पूजा है |
बहुत सुन्दर भाव समेटे है यह कविता।
जवाब देंहटाएंबिटिया जैसी ही प्यारी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंbeta aur beti dono me main is bhaw ko jeeti hun ...tabhi, apne bete ko main beti bulati hun, betiyon ko beta kahti hun
जवाब देंहटाएंbeti hi prakriti hai ..sach kaha
जवाब देंहटाएंbeti sach me prakriti hi hai usi ke saman samvedansheel aur bhav poorn..bahut sunderta se chhalkaya aapne betiyon ke liye pyar......badhaiyan....
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ... बेटी किसी भी इंसान के जीवन में सब कुछ होती है .... भावुक कर गयी रचनाएँ ...
जवाब देंहटाएंअरुण जी,
जवाब देंहटाएंबेटी और प्रकृति कोई अलग थोडे हैं सिर्फ़ समझ की बात है और उसे आपने जिस करीने से पिरोया है वो सिर्फ़ आप ही की काबिलियत है……………प्रकृति का हर रूप बेटी मे समाया होता है लेकिन इंसान इतना ही नही समझ पाता है…………एक बेहद गहन अभिव्यक्ति।
बेटी की
जवाब देंहटाएंआँख में आसमान
और अंजुरी में
समंदर होता है ....
बहुत भावुक कर दिया आपकी रचना ने.....बेटी वास्तव में प्रकृति है क्यों की उसका व्यवहार प्रकृति की तरह ही स्वाभाविक, सहज और स्वार्थ रहित होता है...बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..आभार...
बेटी को सच में आज ठसी नजर से देखने की जरूरत है..... बहुत खूब.
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