अक्षर
मिलकर
बनाते हैं
शब्द,
जबकि
नहीं होता
अक्षरों का
अपना कोई अर्थ
लेकिन
मिलकर देते हैं
शब्द को
अर्थ
आयाम
अभिव्यक्ति
जानने के लिए
शब्दों के अर्थ
आवश्यक नहीं होता है
अक्षर ज्ञान
कुछ अनुभव जन्य होते हैं
कुछ तो बस
महसूस भर किये जाते हैं
साक्षर
हो रहा है देश
पर कहाँ हो रहा है
स्वर मुखर उस अनुपात में
खो रहे हैं
शब्दों से सन्दर्भ
जितना बढ़ रहा है
हमारा अक्षर ज्ञान
दूसरी ओर
बिना उच्चारित किये
सब कुछ कह जाती हो तुम,
लिखने के बाद भी बहुत कुछ
अधूरी रह जाती है
मेरे मन की बात
बस
ढाई आखर का
देकर ज्ञान
थोडा मुझे भी
साक्षर कर दो !
जानने के लिए
जवाब देंहटाएंशब्दों के अर्थ
आवश्यक नहीं होता है
अक्षर ज्ञान
कुछ अनुभव जन्य होते हैं
कुछ तो बस
महसूस भर किये जाते हैं
... bahut badee baat kahi hai
शब्द अपना अर्थ तब देंते हैं जब हम उनका उचित तरीके से उपयोग करते हैं। इसके लिए चिंतन,मनन और धैर्य की जरुरत है। फिर चाहे वह कविता हो,कहानी हो या अन्य कोई विधा या मौखिक संवाद। और कविता में शब्दों का उपयोग करने के मामले में तो हमें कंजूस होना चाहिए। कंजूस की तरह सोच सोच कर उन्हें खर्च करना चाहिए। साक्षर होने का अर्थ पढ़ना-लिखना आना भर नहीं है।
जवाब देंहटाएंपढ़ें....शब्द अपना अर्थ तब देते हैं।
जवाब देंहटाएंजबकि
जवाब देंहटाएंनहीं होता
अक्षरों का
अपना कोई अर्थ
लेकिन
मिलकर देते हैं
शब्द को
अर्थ
आयाम
अभिव्यक्ति ...
बहुत खूब ... षाडबों की महिमा अपरंपार है ... पर जैसा की आपने कहा ढाई आखर का ज्ञान इस दुनिया में बहुत है ....
वाह्……………जिसने प्रेम का पाठ पढ लिया समझिये साक्षर हो गया………………सबसे कठिन तो इसी के शब्द को समझना है और फिर उसके अर्थ को………………गूढ अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंbahut bahut sundar!
जवाब देंहटाएंगहराई से लिखी गयी एक सुंदर रचना...
जवाब देंहटाएंबस
जवाब देंहटाएंढाई आखर का
देकर ज्ञान
थोडा मुझे भी
साक्षर कर दो !
-बहुत ऊँची बात कही आपने.
अक्षर का क्षरण,
जवाब देंहटाएंज्ञान का हरण।
बस
जवाब देंहटाएंढाई आखर का
देकर ज्ञान
थोडा मुझे भी
साक्षर कर दो
गूढ अभिव्यक्ति, सुंदर रचना
ढाई आखर का
जवाब देंहटाएंदेकर ज्ञान
थोडा मुझे भी
साक्षर कर दोyahi dhai aakhr ka gyan hi to sab shabdo ki dhoori hai....bahut sajeev bhavnayee..
लिखने के बाद भी बहुत कुछ
जवाब देंहटाएंअधूरी रह जाती है
मेरे मन की बात
hum roz hi tu aisa hota hai ......koi bahut bahut kuch kahta hai ...lakin baad mein aisa dikta hai ki vo tu usne kaha hi nahi jo kahna chahta tha.....??
ati sunder
साक्षारता ही वह प्रकाश-पुंज है, जो दुनिया के करोड़ों लोगों को अज्ञानता के अंधियारे से निकालकर उनके जीवन में ज्ञान का उजाला फैला सकता है।
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