मंगलवार, 21 दिसंबर 2010

अर्थशास्त्र

कहा जाता है कि 
अर्थशास्त्र 
एक विज्ञान है 
जहाँ किया जाता है
उत्पादन, वितरण व 
खपत का प्रबंधन 
अंतिम उद्देश्य होता है
संसाधनों का इष्टतम उपयोग
लाभ के साथ 
केंद्र में नहीं होता
आम आदमी. 

मांग और 
आपूर्ति के बीच 
संतुलन बिठाने की कला है 
अर्थशास्त्र 
जबकि मांगें 
की जा रही हैं सृजित 
चाहे-अनचाहे 
और आपूर्ति हो रही है 
छद्म मांगों पर 

अर्थशास्त्र में 
मूल्य के निर्धारण का
आधार होता है 
लागत और मांग 
जबकि बदल गए हैं
मूल्य के आदान ही. 

29 टिप्‍पणियां:

  1. जबकि मांगें - की जा रही हैं सृजित


    बिलकुल सत्य...........
    नए सिरे से सोचने को मजबूर कर दिया आपने.

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  2. arthshashtra pe itna karara vyangya...kya baat hai sir....:D


    kash ye arthsastra garibi aur amiri ke bich ki kadi ban pati..:)

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  3. आम आदमी सभी के रडार पर है .राहुल गाँधी से लेकर प्रत्येक बहुराष्ट्रीय कम्पनी के बाज़ार प्रबंधकों तक .लेकिन एजेंडा एक ही है कि इसे कैसे ठगा जाये .
    सुन्दर कविता के लिए बधाई .

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  4. अर्थ सारे खो चुके हैं, शास्‍त्र पढ़ता कौन है
    मूल्‍य खोकर, दर की बातों पर सभी का मौन है।

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  5. अर्थशास्त्र

    कहा जाता है कि
    अर्थशास्त्र
    एक विज्ञान है
    जहाँ किया जाता है
    उत्पादन, वितरण व
    खपत का प्रबंधन
    अंतिम उद्देश्य होता है
    --
    बहुत ही अच्छे हैं सभी शब्दचित्र!
    बुधवार के चर्चा मंच पर इस पोस्ट की चर्चा भी तो की गई है!

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  6. बहुत खूब ... अर्थशास्त्र के सीधन्त का नया मूल्यांकन किया है ...

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  7. जबकि मांगें
    की जा रही हैं सृजित
    चाहे-अनचाहे
    और आपूर्ति हो रही है
    छद्म मांगों पर

    कितनी कुशलता से इस विडम्बना को शब्दों में ढाल दिया है...
    अच्छी कविता

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  8. जबकि बदल गए हैं
    मूल्य के आदान ही.
    xxxxxxxxxxxxxxxxxxxx
    बहुत गहरे चिंतन से उपजी पोस्ट .....शुक्रिया

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  9. aअर्थशास्त्र मतलव केवल कमाई करो अपनी जेबें भरो बाकी चाहे मरो। बहुत गहरे भाव लिये आपकी रचना आज के बाजारवाद का सच है। धन्यवाद।

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  10. वाह अरुण सर..
    ऐसी रचनायें आप ही कर सकते हैं...

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  11. अच्छी लगी कवितायें…हिन्दी में ऐसे विषयों पर कम लिखा गया है

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  12. बदलते मूल्यों का भी कारण है आधुनिक अर्थशास्त्र।

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  13. अर्थशास्त्र के सिद्धांतों की अच्छी व्याख्या की है आपने!! यही तो है असली अर्थशास्त्र जिसका ज्ञान किसी को अमीर नहीं बनाता, सिर्फ यह बताता है कि वह गरीब क्यों है!

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  14. आम आदमी को ध्यान में रख कोई अर्थशास्त्र नहीं बनाया गया .... उसकी भूमिका राजनीती शास्त्र तक सीमित है

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  15. अर्थशास्त्र के सीधन्त की अच्छी व्याख्या की है आपने

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  16. क्या बात है...बहुत उम्दा!! जुदा अंदाज!

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  17. बाज़ारवाद पर अच्छा कटाक्ष्…………सुन्दर रचना।

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  18. अर्थशास्त्र में
    मूल्य के निर्धारण का
    आधार होता है
    लागत और मांग
    जबकि बदल गए हैं
    मूल्य के आदान ही.
    अर्थशास्त्र के मूल में कुछ और व्यवहार में कुछ,यही सब तो विडम्बना हैं.
    अच्छी प्रस्तुति.

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  19. मैंने भी इसी विषय में अपना P.G. किया है...
    मेरे हिस्साब से ये एक बहुत कठिन विषय है जिसमे एक्साम पास करना बोर्ड्स मृत के साथ निकालने के बराबर है...
    jokes apart... अच्छा अध्ययन है...

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  20. अर्थशास्त्र इस मायने में एक विज्ञान ही है, क्‍योंकि इसके केंद्र में (आम) आदमी नहीं होता. कविता के साथ गंभीर विश्‍लेषण है यह. प्राकृतिक और सामाजिक विज्ञान को आपकी मानविकी दृष्टि खूब पकड़ती है.

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  21. प्रिय बंधुवर अरुण चन्द्र रॉय जी
    नमस्कार !

    अर्थशास्त्र अपने लिए तो सदैव ही अरुचिकर रहा है …
    इसलिए आपकी कविताओं पर अधिक कहना संभव नहीं ।
    … अच्छा सृजन आप निरंतर करते ही हैं
    पिछली कुछ पोस्ट्स की तुलना में आज डूब नहीं पा रहा हूं आपकी कविताई में … ज़ाहिर है, विषय ही ऐसा है ।

    ~*~नव वर्ष 2011 के लिए हार्दिक मंगलकामनाएं !~*~

    शुभकामनाओं सहित
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  22. जीवन अर्थशास्त्र पर ही आधारित है। बेहतरीन कविताओं के लिए बधाई।

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  23. अर्थशास्त्र को नए ढंग से परिभाषित किया है.अच्छा अध्ययन, अच्छा सृजन है ये.

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