भाई साहब
छत से आदमी और
उसके हैसियत का
चलता है पता
कई छतों पर
पडी होती हैं
टूटी कुर्सियां
मेज और
आलमारी किताबों वाली
इस से समझिये कि
आधुनिक है वो घर
किताबों के लिए
कोई स्थान नहीं वहां
कई छतों पर
मिल जायेगे आपको
पुराने टायर
साईकिल, स्कूटर और कार के
वह बड़ी हैसियत वाला घर है
वहां हैं मौजूद
जीवन के सभी आधुनिक साधन
कई छतों पर
देखा है मैंने स्वयं भी
छोटे छोटे बच्चों के साइकिल
समझ गया कि
बच्चे हो रहे हैं जवा
इस घर में
विस्थापित होने वाले हैं
मूल्य जल्दी ही
इन सब से परे
कुछ छतों पर आपको मिलेंगे
गमले
मौसमी और बारहमासी
फूलों और पत्तों से भरे
और ये बताता है कि
खूबसूरत होते हैं ये घर
और इनमे रहें वाले
इसके उलट
कुछ छतों पर
पा जायेंगे आप
गमलो में तरह तरह के कैक्टस
देशी विदेशी कैक्टस
संवेदना शुन्य होने का
देते हैं सबूत
कुछ छतों पर
मिलेंगे आपको
हजारों छेद वाली
फटी बनियान
किसी मेहनत कश की ,
बहुत प्रेरणा देते हैं
ये छत
भाई साहब
और इन सबके बीच
कुछ छत ऐसे भी हैं
जिनपर सजे होते हैं
चाँद, सितारे
ताने हुए आसमान के वितान पर
बिना किसी दीवार या खम्भे के सहारे
सच कहता हूँ
ऐसे छतों के नीचे
नींद बहुत अच्छी आती है
बहुत खूब अरुणजी .जिस की सर पर वितान ही छत हो -उसके सपने भी असाधारण होते हैं उन सपनों को भला कौन पढ़ पाया है.
जवाब देंहटाएंइन सबके बीच
जवाब देंहटाएंकुछ छत ऐसे भी हैं
जिनपर सजे होते हैं
चाँद, सितारे
ताने हुए आसमान के वितान पर
बिना किसी दीवार या खम्भे के सहारे
सच कहता हूँ
ऐसे छतों के नीचे
नींद बहुत अच्छी आती है
... aur sapne bhi
मुझै तो आप एक बात बतायें कि इतनी खूबसूरत कवितायें आप इस गति से कैसे कह लेते हैं। एक पूरा इंद्रधनुष पैदा कर दिया आपने छत का।
जवाब देंहटाएंchhat par itna kuchh bahut khoob meri chhat par bhi bas aasmaan hai ki kalpna ki udaan mein badha naa pahunche
जवाब देंहटाएंआपकी इस कविता की व्यंजना जबर्दस्त है ।
जवाब देंहटाएंकल्पना को यह आयाम पहली बार निहारा है। बहुत अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंbrilliant ! brilliant brilliant !
जवाब देंहटाएंhats off to your unique thought process and editing and presentation skills...
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कुछ छत ऐसे भी हैं
जवाब देंहटाएंजिनपर सजे होते हैं
चाँद, सितारे
ताने हुए आसमान के वितान पर
बिना किसी दीवार या खम्भे के सहारे
सच कहता हूँ
ऐसे छतों के नीचे
नींद बहुत अच्छी आती है
kya kehoon......shbd nahi..!!
इस से समझिये कि
जवाब देंहटाएंआधुनिक है वो घर
किताबों के लिए
कोई स्थान नहीं वहां
आपकी यह रचना बहुत कुछ कह गयी....सुन्दर ..अतिसुन्दर अभिव्यक्ति ..
सही समय पर और प्रेरक पोस्ट के लिये आभार
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंलाजवाब सुन्दर अभिव्यक्ति. छत के कितने पर्याय पर न जाने अपनी किस्मत में कौन सा था
जवाब देंहटाएंवाह....क्या खूब कविता है ..भाव और शिल्प दोनों ही स्तरों पर प्रभावी...बधाई..
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात है...छत पर भी ज्योतिष दिखा दिया...अब तो हमें अपनी छत के बारे में सोचना पड़ेगा.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना.
वाह अरुण जी वाह...बेहतरीन रचना है आपकी...छतों का विश्लेषण कमाल का किया है...सच्ची और अच्छी रचना...
जवाब देंहटाएंनीरज
आपके धारदार लेखन पर बहुत प्रेरणा मिलती है हम भी समय के अनुसार लिखते रहें. लगातार. ताकि संवेदनाएं बनी रही. संवेदना शून्य भी मानव कैसा नहीं?
जवाब देंहटाएंbahut sunder..chhat ke ache varnan
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा....मेरा ब्लागः"काव्य कल्पना" at http://satyamshivam95.blogspot.com .........साथ ही मेरी कविता "हिन्दी साहित्य मंच" पर भी.......आप आये और मेरा मार्गदर्शन करे...धन्यवाद
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