बुधवार, 29 दिसंबर 2010

कैलेण्डर

तैयारी है
पुराने वर्ष के कैलेण्डर को
विस्थापित करने की 
ऐसा नहीं है कि
पुराने वर्ष के कैलेण्डर में
नहीं बसी हैं
कुछ मधुर स्मृतियाँ
कुछ रक्तरंजित चेहरे
कुछ इतिहास
कुछ युद्ध
कुछ जीत
कुछ हार
कुछ अनकही
कुछ कहासुनी
फिर भी जगह देने के लिए
भविष्य  को 
होता ही है विस्थापित अतीत .
पुराने वर्ष का कैलेंडर भी. 

कई बार
दस्तावेज बन जाता है
पुराने वर्ष का कैलेण्डर
क्योंकि उसके कुछ तारीख
नहीं होते हैं महज तारीख
गड़े होते हैं उसमे
कई मील के पत्थर 
होते हैं दर्ज कई हस्ताक्षर
कुछ सुनहरी स्याही में
कुछ स्याही के रंग होते हैं काले
फिर भी कह रहा होता है
बहुत कुछ अपने अनुभवों से
पुराने वर्ष का कैलेण्डर

एक तारीख
उठा ली है मैंने
लगा दिया अपने नए कैलेण्डर पर
निकल आया हूँ मैं
नए और पुराने कैलेंडर के
संक्रमण काल से
मिट गया है
मेरा द्वन्द भी.

27 टिप्‍पणियां:

  1. कई बार
    दस्तावेज बन जाता है
    पुराने वर्ष का कैलेण्डर
    क्योंकि उसके कुछ तारीख
    नहीं होते हैं महज तारीख
    गड़े होते हैं उसमे
    कई मील के पत्थर

    kitni sukshm baato ko aap pakarte ho, aur apni kavita me unko sabd rup dete ho sir...:)
    no doubt sir....aap ham jaiso ke liye kavita ke mapdand sabit ho rahe ho...:)

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  2. फिर भी जगह देने के लिए
    भविष्य को
    होता ही है विस्थापित अतीत .

    वाह...शाश्वत सच बयान किया है आपने अपनी रचना में...बधाई.

    नीरज

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  3. निकल आया हूँ मैं
    नए और पुराने कैलेंडर के
    संक्रमण काल से
    मिट गया है
    मेरा द्वन्द भी.
    xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx
    समय गतिशील है ...हमें उसकी नजाकत को समझना चाहिए .....बहुत सुंदर

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  4. फिर भी जगह देने के लिए
    भविष्य को
    होता ही है विस्थापित अतीत .
    पुराने वर्ष के कैलेंडर भी.

    मुझे सादगी और सरल तरीक़े से अपनी बात कहना अच्छा लगता है.इस लिहाज से आपकी उपर्युक्त पंक्तियाँ पसंद आयीं.नया साल मंगलमय हो

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  5. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (30/12/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
    http://charchamanch.uchcharan.com

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  6. यही ज़िन्दगी का सच है……………हम अतीत की सुखद यादो को भविष्य मे ले जाना चाह्ते हैं और वो ही हमारे जीवन का दस्तावेज़ बन जाती हैं…………बेहद उम्दा प्रस्तुति…………द्वंद से बाहर निकल कर भविष्य की ओर देखने को प्रेरित करती सुन्दर रचना।

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  7. "कई बार
    दस्तावेज बन जाता है
    पुराने वर्ष का कैलेण्डर
    क्योंकि उसके कुछ तारीख
    नहीं होते हैं महज तारीख
    गड़े होते हैं उसमे
    कई मील के पत्थर"
    ये कविता भी मील का पत्थर बनकर उभरी है.बहुत-बहुत बधाई इस रचना के लिए और अतीत को साथ लेकर चलने की सोच के लिए. सकारात्मक सोच से उपजी एक सार्थक प्रस्तुति के लिए बधाई.

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  8. अरुण जी अच्छी कविता है . बधाई . डॉ . मुकेश गौतम, मुंबई .

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  9. फिर भी जगह देने के लिए
    भविष्य को
    होता ही है विस्थापित अतीत .
    पुराने वर्ष के कैलेंडर भी.

    बहुत गहन अभिव्यक्ति..भविष्य के लिए विस्थापित होना ही होता है अतीत को..निशब्द कर दिया इतनी सुन्दर प्रस्तुति ने. नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनायें..

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  10. दस्तावेज बन जाता है
    पुराने वर्ष का कैलेण्डर
    क्योंकि उसके कुछ तारीख
    नहीं होते हैं महज तारीख
    गड़े होते हैं उसमे
    कई मील के पत्थर

    सचमुच, अतीत व्यतीत नहीं होता...
    समय की सड़क पर मील के पत्थर बन जाते हैं, वर्ष के टुकड़े।

    अत्यंत प्रभावशाली रचना।

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  11. विगत और आगत के बीच सेतु निर्मित करती यह कविता,समय की छाती पर हस्ताक्षर है!!

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  12. फिर भी जगह देने के लिए
    भविष्य को
    होता ही है विस्थापित अतीत .
    पुराने वर्ष के कैलेंडर भी.

    विगत और आगत के सेतु जिन पर समय भी चलता है साथ साथ... गहन एहसासों को समेटे,बेहद भावमयी और खूबसूरत अभिव्यक्ति.आभार.
    आप को सपरिवार नव वर्ष की ढेरों शुभकामनाएं.
    सादर,
    डोरोथी.

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  13. अतीत का विस्थापित होना , भविष्य को जगह देने हेतु....
    सुन्दर सतत प्रक्रिया सा जारी है!
    सुन्दर गहन अभिव्यक्ति!

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  14. बहुत खूबसूरत रचना है.
    आप सभी को नए साल की हार्दिक शुभकामनाएं

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  15. वर्षों का आना जाना कृत्रिम सीमांकन लगता है। हर दिन का प्रारम्भ जीवन का द्योतक है।

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  16. पुराना कैलेण्डर हटाना ही होता है , इससे जुडी कितने ही यादगार तारीखें हो तब भी ...
    नए पुराने के द्वंद्व को खूब दरसाया आपने कविता में !

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  17. blikul sahi kaha arun sir aapne...naye ko jagah dene ke liye purane ko visthapit karna hi hota hai...acchi kavita hai...

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  18. बहुत खूबसूरत रचना है.
    आप सभी को नए साल की हार्दिक शुभकामनाएं

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  19. मैं भी निकल आई हूँ पुराने कैलेण्डर से... बस पाँव निकलना बाकी है...
    पर मुझे दुःख भी है कि ये वर्ष बीत क्यूं रहा है... पर अब भविष्य को विस्थापित भी तो करना है...
    आगंतुक के लिए ढेर सारी हार्दिक बधाइयाँ...
    many-many beat wishes for the upcoming year... to you and family...

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  20. फिर भी जगह देने के लिए
    भविष्य को
    होता ही है विस्थापित अतीत .
    पुराने वर्ष का कैलेंडर भी.

    जीवन की सच्चाई को रेखांकित करती हुई पंक्तियाँ.
    बढ़िया अभिव्यक्ति

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  21. नहीं होते हैं महज तारीख
    गड़े होते हैं उसमे
    कई मील के पत्थर
    होते हैं दर्ज कई हस्ताक्षर
    कुछ सुनहरी स्याही में
    कुछ स्याही के रंग होते हैं काले

    एक सच कविता में ढल गया
    आप को नए वर्ष की शुभकामनाएं

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  22. क्या बात कही...वाह !!!

    सुलझे और अद्वितीय ढंग से आपने बात रख दी...

    मनोहर सुन्दर रचना...

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  23. अच्छे शब्द ...यादें...और अच्छा चुनाव एक बढ़िया रचना का निर्माण करने में सदैव समर्थ रही हैं ! हार्दिक शुभकामनाये आपको !

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  24. नव वर्ष की शुभकामनायें।
    खूबसूरत स्‍पर्श दो वर्षों का।
    'एक तारीख
    उठा ली है मैंने'

    ने याद दिलायी मेरे एक मित्र गीतकार मनहर 'परदेसी' के गीत की जिसमें उनहोंने कहा था:
    उड़ता है तो उड़ जाने दो कैलेंडर
    मैने उनसे मिलने की तारीख चुरा ली है।

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  25. पुराने वर्ष के कैलेण्डर में
    नहीं बसी हैं
    कुछ मधुर स्मृतियाँ
    कुछ रक्तरंजित चेहरे
    कुछ इतिहास
    कुछ युद्ध
    कुछ जीत
    कुछ हार
    कुछ अनकही
    कुछ कहासुनी
    फिर भी जगह देने के लिए
    भविष्य को
    होता ही है विस्थापित अतीत .
    पुराने वर्ष का कैलेंडर भी.
    bahut achhi kavita

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