ज्ञान नहीं
अक्षर का
पता नहीं
कैसे बनते हैं शब्द
अक्षरों से
कैसे शब्द मिलकर
बनाते है
वाक्य
और
वाक्य में क्या है
व्याकरण के सूत्र
नहीं पता मुझे
कहो ना
कैसे करे वह
प्रेम निवेदन
कैसे कहे अपने
ह्रदय की बात
कैसे जताए
अपनी प्रतिबद्धता...
कैसे बताये कि
आँखे बस देखती हैं तुम्हे
साँसों में बस बसी हो तुम
मन पर बस साम्राज्य है
तुम्हारा
कहो ना
कैसे लिखें
प्रेम का काव्य
बिना व्याकरण
बिना सूत्र
prem mook bhee hota hai..........
जवाब देंहटाएंshubhkamnae
कुछ अहसास, कुछ अभिव्यक्ति, ... बस पहुंच जाती हैं लक्ष्य तक, उसे शब्द की ज़रूरत नहीं पड़ती। जाने क्या तूने कही....
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
योगदान!, सत्येन्द्र झा की लघुकथा, “मनोज” पर, पढिए!
शब्द तुम्ही हो, शब्दों का विन्यास तुम्हीं,
जवाब देंहटाएंअर्थ भरेगा उनमें, यह विश्वास तुम्हीं।
प्रेम में कोई व्याकरण नहीं होता ...और शायद न शब्द होते हैं न अक्षर ...फिर वाक्य की क्या ज़रूरत ?
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति
कहो ना
जवाब देंहटाएंकैसे लिखें
प्रेम का काव्य
बिना व्याकरण
बिना सूत्र
pyaar to aankhon ki bhasha hai, vyakaran ki kya zarurat
प्रेम का काव्य लिखने के लिये किसी व्याकरण या सूत्र की जरूरत नही होती सिर्फ़ दिल होना चाहिये और दिल मे उमडते ज्वार होने चाहिये …………काव्य ही नही महाकाव्य लिख दिया जाता है…………………प्रेम कभी किसी का मोहताज़ नही होता अगर होता है तो सिर्फ़ प्रेम के स्वीकारने का……………………बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंpyar ke liye na vyakaran chahiye na hi shabd/bhasha. ye to bas ek ehsas ,ek ANUBHUTI hai.achchi kawita.mera sadhuwad...
जवाब देंहटाएंरचना तो बहुत बढ़िया है!
जवाब देंहटाएं--
दिल से दिल को राहत होती है!
कैसे बताये कि
जवाब देंहटाएंआँखे बस देखती हैं तुम्हे
साँसों में बस बसी हो तुम
मन पर बस साम्राज्य है
तुम्हारा ......
मौन प्रेम की बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति....बहुत सुन्दर...आभार..
accha sandesh detee rachana.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति......प्रेम के लिये तो सिर्फ दिल की भावना ही काफी है
जवाब देंहटाएंbaht achhe samjhaya aapne... ye vyakaran... umda rachana....
जवाब देंहटाएंकभी चुप्पी का व्याकरण पढ़ा है आपने! नहीं न.. मौन का कोई व्याकरण नहीं होता, न शब्द के अर्थ, न वाक्य का विन्यास, न छंदों की रचना… बरसों से प्रणय की यही भाषा रही है और यही व्याकरण…
जवाब देंहटाएंचुप तुम रहो, चुप हम रहें
ख़ामुशी को ख़ामुशी से
बात करने दो!
या फिर,
प्यार कोई बोल नहीं, प्यार आवाज़ नहीं
एक ख़ामोशी है, सुनती है कहा करती है!
दुबारा सोचिये, व्याकरण की आवश्यकता है क्या???
सुन्दर अभिव्यक्ति
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