फूल को
देखा है कभी
लगते हैं
कितने प्रिय
कितने मोहक
और
अपनी सुगंध से
सुवासित कर देते हैं
परिवेश
लेकिन प्रायः
महसूस नहीं किया होगा
डाली से टूटने का
उसका दर्द
उसके पंखुडियो के
असमय बिखर जाने की वेदना से
परिचित नहीं होगी तुम
फूल हूँ मैं
इसमें क्या कर सकती हो
तुम भी
देखा है कभी
लगते हैं
कितने प्रिय
कितने मोहक
और
अपनी सुगंध से
सुवासित कर देते हैं
परिवेश
खुशबूपसर जाती हैवातावरण मेंमनोहारी हो जाते हैं दृश्य
मन महक जाता हैफूलों कापा कर सानिध्य
लेकिन प्रायः
महसूस नहीं किया होगा
डाली से टूटने का
उसका दर्द
उसके पंखुडियो के
असमय बिखर जाने की वेदना से
परिचित नहीं होगी तुम
फूल हैमेरा प्रेमजिसे भय हैतुमसे विस्थापन का,तुम्हारी डाली सेविच्छेदन काअसमयकुम्भला जाने का
फूल हूँ मैं
इसमें क्या कर सकती हो
तुम भी
फूल का काम ही है खूश्बू लुटाना।
जवाब देंहटाएंअरुण जी.. आपकी कविता तो हमेशा ही उत्तम होती है... इस कविता में भी आपने फूल के वातावरण को सुवासित करने के गुण के साथ डाली से बिछने का उसका दर्द भी उकेरा है.
जवाब देंहटाएंकिंतु एक संशय मेरे मन में उठ रहा है... कविता का शीर्षक है "फूल हूँ मैं"... किंतु पूरी कविता में फूल को अन्य पुरुष के रूप में सम्बोधित किया गया है… ऐसा प्रतीत होता जैसे कवि फूल की व्यथा का वर्णन कर रहा है न कि फूल स्वयम्...
फूलों की व्यथा को उकेरती एक प्रभावशाली कविता।
जवाब देंहटाएंफूल को फूल ही रहनें दें
जवाब देंहटाएंउसूल बनाने की भूल न करें
5.5/10
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता / सार्थक लेखन
अपनी उपयोगिता की खातिर जड़ से कटना भी पड़ता है.
कविता में कई द्वन्द उभरते हैं.
फूल है
जवाब देंहटाएंमेरा प्रेम
जिसे भय है
तुमसे विस्थापन का,
तुम्हारी डाली से
विच्छेदन का
असमय
कुम्भला जाने का
prabhaw chhodti rachna
bahut gahre bhav ....
जवाब देंहटाएंsarthak lekhan......aabhar
फूल की सुगंध का फैलना और फिर डाल से विस्थापित होने का दर्द ... बहुत सहजता से उकेरा है
जवाब देंहटाएंभावनायें फूल सी सुकुमार होती हैं, सहेज कर रखें सब।
जवाब देंहटाएंwah, bahut sundar.
जवाब देंहटाएंकुछ भी कहने लायक नही छोडा……………क्या खूब कहा है ………………निशब्द कर दिया।
जवाब देंहटाएंफूल है
जवाब देंहटाएंमेरा प्रेम
जिसे भय है
तुमसे विस्थापन का,
तुम्हारी डाली से
विच्छेदन का
असमय
कुम्भला जाने का
फूल हूँ मैं
इसमें क्या कर सकती हो
तुम भी
फूल के माध्यम से एक प्रेमी के दिल का जो वर्णन किया है उसका जवाब नही और यही आपके लेखन की खूबसूरती है।
फूल है
जवाब देंहटाएंमेरा प्रेम
जिसे भय है
तुमसे विस्थापन का,
तुम्हारी डाली से
विच्छेदन का
असमय
कुम्भला जाने का
बहुत ही सुन्दर एवं भावमय प्रस्तुति ।
awesome!
जवाब देंहटाएंphooolo ke dard ko badi achchhi tarah se aap ne ukera hai..........
जवाब देंहटाएंखुशबू
जवाब देंहटाएंपसर जाती है
वातावरण में
मनोहारी हो जाते हैं दृश्य
मन महक जाता है
फूलों का
पा कर सानिध्य........
sunder kavita.......
फूल है
जवाब देंहटाएंमेरा प्रेम
जिसे भय है
तुमसे विस्थापन का,
तुम्हारी डाली से
विच्छेदन का
असमय
कुम्भला जाने का
dar ki behtareen prastuti....