जब
दुनिया का शोर
निस्तब्ध हो जाता है
भीतर मेरे
कोई सिसकता है
कभी
चाँद को देख कर
अपने एकाकीपन को
करता है दूर
तो कभी
जुगनुओं को बंद कर
मुट्ठियों में
रोशन करता है
अपने भीतर के
अँधेरे को
भेजता है
सन्देश हवाओं से
कि उनसे कहना
न हो उदास
होगी अवश्य
सुबह नई
मुस्कुराती सी
कहता है
गौरैया से
जाओ उन्हें जगाना
धीरे से
टूटने न पाए
मीठा स्वपन
दुनिया का शोर
शुरू होने से
पहले
खामोश हो जाता है
उसके
भीतर का अँधेरा
और एक हंसी मुखौटे सी
जाती है पसर
चेहरे पर.
उसके
जवाब देंहटाएंभीतर का अँधेरा
और एक हंसी मुखौटे सी
जाती है पसर
चेहरे पर
शब्दों में उडेला अंतस का दर्द.
बेहतरीन अभिव्यक्ति.
5.5/10
जवाब देंहटाएंप्रभावी लेखन / सुन्दर भाव
उम्मीद के द्वार खोलती, संबल प्रदान करती सुन्दर पोस्ट.
जब
जवाब देंहटाएंदुनिया का शोर
निस्तब्ध हो जाता है
भीतर मेरे
कोई सिसकता है
mere saath humesha iska ulta hi hua hai ... badhiya nazm hai ...par sambhavna bahut hai ...
दुनिया का शोर
जवाब देंहटाएंशुरू होने से
पहले
खामोश हो जाता है
उसके
भीतर का अँधेरा
और एक हंसी मुखौटे सी
जाती है पसर
चेहरे पर.
Bada khushnuma khayal hai!
दुनिया का शोर
जवाब देंहटाएंशुरू होने से
पहले
खामोश हो जाता है
उसके
भीतर का अँधेरा
और एक हंसी मुखौटे सी
जाती है पसर
चेहरे पर.
.....बहुत मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति..
बढ़िया रचना गहरे भावों की !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति . भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंज़्यादातर लोगों के साथ यही होता है कि वो अपने मन की सिसकियों को ज़िंदगी के शोर में दबा देते हैं या हँसी का आवरण ओढ़कर सहज होने का अभिनय करते हैं. क़ैफी सहब ने भी कहा है कि
जवाब देंहटाएंतुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो
क्या ग़म है जिसको छिपा रहे हो.
आपकी कविता भी वही कह रही है. एक ईमानदार अभिव्यक्ति!
arun ji
जवाब देंहटाएंbahoot sunder bhavo se bhari abhivayakti.
दुनिया का शोर
जवाब देंहटाएंशुरू होने से
पहले
खामोश हो जाता है
उसके
भीतर का अँधेरा
और एक हंसी मुखौटे सी
जाती है पसर
चेहरे पर.
उम्मीद की एक हल्की सी किरण ही जीवन का सम्बल बन जाती है और नयी सुबह का आगाज़ हो जाता है…………………एक बेहद सुन्दर रचना सकारात्मकता की ओर ले जाती हुयी………………मानव मन की अनुभूतियों का सटीक चित्रण्।
खूबसूरत , और सच भी
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लिखा है आपने.
जवाब देंहटाएंआपका लिखने का अंदाज़ बहुत ही खूबसूरत है
गद्य को पूर्णता देती कविता भी सोचने को विवश करती है.
पता नहीं, शब्दों में स्वाद होता है कि नहीं, पर बड़ी मीठी कविता।
जवाब देंहटाएंवाह....
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण सुन्दर अभिव्यक्ति....
स्निग्ध सुन्दर रचना !!!
और एक हंसी मुखौटे सी
जवाब देंहटाएंजाती है पसर
चेहरे पर
हंसी के साथ दुनिया साथ देती है ...अंदर के दुःख को छिपाना पड़ता है ...अच्छी रचना
behad sunder bhaw ko bunti hui rachna.
जवाब देंहटाएंजब दुनिया का शोर
जवाब देंहटाएंनिस्तब्ध हो जाता है
भीतर मेरे कोई सिसकता है .......
भावपूर्ण रचना .
kitna babas ker jati hain ye siskiyaan
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