बुधवार, 9 जून 2010

ए़क और भोपाल

आज
हुई है
ए़क और भोपाल त्रासदी
और
जो लोग बचे थे
गैस रिसाव में
हुई है उनकी
वैधानिक हत्या

और
इस बार रो नहीं रहा
भोपाल
सदमे में भी नहीं है
कोई आक्रोश भी
नहीं है भोपाल को

हां
हजारों हाथ
उठे हैं दुआ में
कि हो
ए़क और भोपाल
लेकिन
भोपाल में नहीं

न्यूयोर्क
वरजिनिया
फ्लोरिडा
ओकहामा
न्यू जेर्सी
या
कलिफोर्निया में
ए़क और भोपाल

10 टिप्‍पणियां:

  1. par kya unke dil tab nahi dahlenge...jo bhi ho wo log bhi aam insaan hai jis jis shahar me aisa hoga waha ka manjar bhopal sa hi hoga..kuch ki sazaa sabko kyo

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  2. मरने वाले तब भी मासूम इन्सान ही होंगे..किसी के भाई, किसी के बेटे, बहनें माँ...

    यह तो समस्या का हल नहीं.

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  3. भोपाल का होना तब भी गलत था और यदिद भोपाल कहीं भी हो तो वह भी गलत ही होगा.

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  4. निर्णय देनेवालों पर सीधे वार करिए .. समय का इंतज़ार क्यों ? इस कविता को खुलकर लिखिए ... अग्रिम बधाई

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  5. न्यूयोर्क
    वरजिनिया
    फ्लोरिडा
    ओकहामा
    न्यू जेर्सी
    या
    कलिफोर्निया में
    ए़क और भोपाल
    अरुण जी ,
    नमस्ते !
    इन अंतिम पंक्तियों ने सब निचोड़ ला दिया , बेहद वजनी लगी ,
    साधुवाद ,

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  6. दर्द भरे दिल से निकली आह ..... बहुत ही मार्मिक लिखा है ... सच है इस फैंसले ने बचे हुओं की भी ज़िंदगी ले ली ...

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  7. aam admi chahe kisi bhi desh ka ho jab bhi sattadhariyon ki hewaniyat ka shikar hota hai to dil dukhta hai... bhopal kaand kuch mahtwakanshiyon ki laparwahi ka nateeja tha aur aaj ki nainsafi bhi kuch satta dhari bahubaliyon ki khurafat hai....

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  8. jurm ki saja kabhi jurm nahi ho sakti,ye hamari sabhyata aur sanskriti nahi hai.jo hua galat hua par saja un masoomo ne jheli jo bad me akele bache ashay,nirash.
    aaka akrosh sahi hai par.....

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