१
नदी
और पुल
के बीच है
अनोखा रिश्ता,
पुल खड़ा करता रहेगा
इन्तजार
नदी
यू ही बहती रहेगी
अनवरत
२
नदी
लगातार मारती रहेगी
हिलोर
पुल
यो ही शांत रहेगा खड़ा
शाश्वत
क्योंकि उसे पता है
दोनों का प्रारब्ध
३
पुल की ओर से
नदी लगती है
बहुत खूबसूरत
नदी की ओर से
पुल लगता है
असंभव
जबकि
पुल की जड़े
कायम होती है नदी में,
नदी समझ नहीं पाती कभी
"नदी समझ नहीं पाती कभी"
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह लाजवाब
वैसे एक बात है नदी इतनी भी नासमझ नहीं होती की कोई उसे पेट में टांगे गड़ाए बैठा हो और वो कुछ न कहें,ये तो उसको माँ का दर्जा मिल है सो चुप रहती है
aanand aayaa. magar pichhalee kavitaao jitanaa nahi.
जवाब देंहटाएंरचना ने बहुत सुन्दर बात कह दी कि नदी इतनी बुद्धू नहीं होती वह माँ है इसलिए सब कुछ जानकर भी नहीं बोलती ...आपकी कविता हमेशा कि तरह अति सुंदर है ..नदी और पुल का साथ स्त्री पुरुष जैसा लग रहा है ...बधाई
जवाब देंहटाएंkhubsurat bimb... khaaskar pahli wali bahut pasand aayi :)
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना सदा की तरह
जवाब देंहटाएंपुल खड़ा करता रहेगा
जवाब देंहटाएंइन्तजार
नदी
यू ही बहती रहेगी
अनवरत
पुल और नदी का मानवीकरण... बहुत अच्छा लगा....अलग सी सोच...कहीं प्रेमी प्रेमिका का ...तो कहीं (रचना ) की बात से सहमत होते हुए...माँ और संतान का...
पुल की ओर से
जवाब देंहटाएंनदी लगती है
बहुत खूबसूरत
नदी की ओर से
पुल लगता है
असंभव
जबकि
पुल की जड़े
कायम होती है नदी में,
नदी समझ नहीं पाती कभी...kuch rishte hote hi hain aise
आपकी रचनाओ मे नदी का सा प्रवाह है
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर