(आज देश के बड़े हिस्से में वटसावित्री का त्यौहार मनाया जा रहा है। इसी सन्दर्भ में यह कविता )
तुमने
आज रखा व्रत
मुझे यमराज से
लौटा लाने के
हौसले के साथ
पूजा की
वट वृक्ष की
मेरे दीर्घायु होने की
कामना के साथ
भर ली
तुमने अपनी मांग
शाश्वत सिन्दूर से
लगा ली
बड़ी गोल बिंदी
और छुपा ली
बिंदी के नीचे का दाग
अपनी कामना को
बना लिया
तुमने जीवन का संबल
लेकिन
कहाँ बना पाया
मैं
तुम्हे एवं
तुम्हारे व्रत को
अपने मन का
आधार
बेहतरीन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआधार बनेगा एक दिन
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
ऐसी कवितायेँ ही मन में उतरती हैं ॥
जवाब देंहटाएंअपनी कामना को
जवाब देंहटाएंबना लिया
तुमने जीवन का संबल
लेकिन
कहाँ बना पाया
मैं
तुम्हे एवं
तुम्हारे व्रत को
अपने मन का
आधार
gr8
bahut sundar adbhut rachna
जवाब देंहटाएंवाह .. बहुत बढिया !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता !बधाई !
जवाब देंहटाएंachchha likha hai
जवाब देंहटाएंbehad samvedansheel kavita.astha ka aik roop liye yah kavita wakai lajawab hai.
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