मुस्कुराते हैं
अखबारों के पन्नों के बीच
फंसे, गुंथे , लिपटे
पम्फलेट
ख़बरों पर
और उनकी घटती
विश्वसनीयता पर
ख़बरों के
कानो में
जाके जोर से चिल्लाते हैं
पूरी रंगीनियत के साथ
कि ख़बरों से
पहले पढ़े जाने लगे हैं वो...
पम्फलेट
ख़बरों और
अखबारों के लिए
ए़क बड़ी खबर हैं
ये महत्वहीन
पम्फलेट
khabro me padhe jaane lage hain "pumplate"...:)
जवाब देंहटाएंhaaan har din newspaper se pahle unko hi dekhta hoon main bhi............sayad koi scheme dikh jaye, sayad koi one plus one ki koi samagrii ...........ho..:P
sayad vyangyatmak rachna na.......:)
वाह...पैम्फलेट जैसी वस्तु पर भी आपने कविता लिख दी.बहुत गहरी दृष्टि पाई है आपने.
जवाब देंहटाएंbahut paini nazar rakhte hain aap aur aapki kalam bhi...
जवाब देंहटाएंवाह!!!!! पेम्फलेट को भी नहीं छोड़ा .कितनी आसानी से उसकी महत्ता बता दी बधाई
जवाब देंहटाएंखबरों से पहले की खबर है ये तो
जवाब देंहटाएंसुन्दर
एक नये विषय पर सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंअच्छी लगी आपकी कवितायें - सुंदर, सटीक और सधी हुई।
जवाब देंहटाएंमेरे पास शब्द नहीं हैं!!!!
tareef ke liye arun ji....
्वाह्………क्या दूर की कौडी लाये हैं।
जवाब देंहटाएंbadhiyaa
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