ए़क घर
बनाया है
हमने भी
रख कर
सपनो को गिरवी
घर में जुटाई
जरुरत और
गैर जरुरत के
सामान
कुछ सुविधाएँ और
कुछ देखा देखी
ख्याल रखा
घर कैसा लगेगा
दोस्तों की नजरों में
फिक्र की
कैसा लगेगा घर
पडोसी की नजरों में
बच्चों के कोना का भी
रखा ध्यान कि
उनका घट न जाए
उनके दोंस्तों के बीच मान
सर्वेंट के लिए भी
कर लिया था इंतजाम
बस छूट गए तो
साल भर में इक बार आने वाले
माता पिता
और फिर
कर लिया समझौता
मन को समझा लिया
बस महीने भर की तो
होती है बात
सर्वएंट क्वार्टर में चल जाएगा
माता पिता का काम
घर में
नहीं थी बची
कोई जगह
अब
ह्म्म्म्म्म्म्म्म
जवाब देंहटाएंमाँ बाप का साथ है अगर तो खुशिया भी साथ होती है वरना कुछ नहीं साथ
सर्वएंट क्वार्टर में चल जाएगा
जवाब देंहटाएंमाता पिता का काम
Aisa din kisi mata-pita ko naseeb na ho!
Kaisi kadvi vidambana hai...afsos magar is duniya me aisa bhi hota hai..
जवाब देंहटाएंmaarmik rachna sochne par majboor karne waali..kya ham itne begairat ho gaye hain...
जवाब देंहटाएंए़क घर
जवाब देंहटाएंबनाया है
हमने भी
रख कर
सपनो को गिरवी....
सर्वएंट क्वार्टर में चल जाएगा
माता पिता का काम ....
फिर घर रहा कहाँ !
बहुत बढ़िया ...
जवाब देंहटाएंअद्भुत, बेहतरीन, लाजवाब, विचारणीय पोस्ट
जवाब देंहटाएंए़क घर
जवाब देंहटाएंबनाया है
हमने भी
रख कर
सपनो को गिरवी....
apka lekhan umda hai aur apki soch ka sagar apar hai...
मार्मिक व्यंग्य।
जवाब देंहटाएंkadwi sachchai hai ,jo saral shabdo me bayan ki hai.badhi...
जवाब देंहटाएंघर में
जवाब देंहटाएंनहीं थी बची
कोई जगह
अब
वस्तुत: घर में जगह इसलिये नहीं क्योकि दिल मे नही है ...
मार्मिक रचना बना दिया आपने तो अंतिम पंक्तियों तक आते आते
घर में जगह इसलिये नहीं क्योकि दिल मे नही है ..
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