१
जब भी
हमने अपनी गाडी के
एक्सलेटर को
उत्साह से
पूरा वजन दे दबाया है
सिसकी है
नन्ही हरी पत्तियां
लेकिन
सुन नहीं पाए हम
इंजन के शोर में
२
जब भी
हमने वातानुकूलित रेस्तरा में
मनाया है आनंद
अपनी सफलताओं का
सिसकी है
नन्ही हरी पत्तियां
लेकिन
सुन नहीं पाए हम
ड़ी जे के शोर में
ऐसी कितनी ही सिसकियाँ हम पल पल नहीं सुन पाते!!
जवाब देंहटाएंबढ़िया रचना!
सही है। इनकी सिसकियां यदि हम सुन लें तो विनाश से खुद को बचाएंगे।
जवाब देंहटाएंसिसकी है
जवाब देंहटाएंनन्ही हरी पत्तियां
लेकिन
सुन नहीं पाए हम
ड़ी जे के शोर में
दि हम सुन लें तो विनाश से खुद को बचाएंगे |
आज की दुनिया का कटु शाश्वत वास्तविक सत्य ..
जवाब देंहटाएंbahut khub
जवाब देंहटाएंफिर से प्रशंसनीय
http://guftgun.blogspot.com/
प्रभावशाली रचनाएँ
जवाब देंहटाएंkisi ka dard kaha koi asani se smajh pata hai ham bhi usi me se hai shayad
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह लाजवाब
जवाब देंहटाएंbahut hi prabhawshali dhang se pattiyon ke aansu dikhaye
जवाब देंहटाएंbahut bahut sundar panktiyaan!
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