गुरुवार, 24 जून 2010

आंकड़े


यह समय
शब्दों के
खामोश होने का है
उनके अर्थ
ढूँढने का नहीं
क्योंकि
इन दिनों
बोलते हैं
आंकड़े


यह समय
भूखमरी का नहीं है
क्यों कि
आंकड़ों से
मापी जाती है
भूख की गहराई
और
आंकड़े दिनों दिन
चढ़ते ही जा रहे हैं
विकास की ओर


यह समय
बच्चों के खेलने का नहीं है
न ही समय है
दिल खोलने का
क्योंकि
खोले जा रहे हैं
पिटारों के मुंह
रहने के लिए चुप
साथ ही खेला जा रहा है
आंकड़ो का जादुई खेल


यह समय
प्रेमिका के रिझाने का नहीं है
ना ही उनसे
सम्मोहित होने का है
क्योंकि
रिझा रहा है
बाज़ार और आंकड़ो का
सम्मोहक गठबंधन


कैसा भी हो समय
नहीं बदलते
दिलों के आंकड़े
जो करते है
प्यार

12 टिप्‍पणियां:

  1. आंकड़ों का खेल बन गई है जिन्दगी!!!

    बढ़िया!!

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  2. बड़े ही खूबसूरत विचार लिये हैं आपने इस छूने वाली कविता में।

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  3. किसी भी काम के लिये हमें कभी भी समय नहीं मिलेगा । यदि हम समय पाना चाहते हैं तो हमें इसे बनाना पडेगा ।

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  4. आंकड़ों ने सबकुछ बदल दिया है ... दिल भी अब आंकड़ों से चलता है

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  5. इन आंकड़ों ने बहुत से आंकड़े गिना दिए.....हर क्षणिका गहरी बात करती हुई...

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  6. वाह बहुत ही खूबसूरत विचार्…………………गज़ब की प्रस्तुति।

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  7. आँकड़े ही आँकड़े
    जिन्दगी भी आँकड़ा
    सुन्दर रचना

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  8. ब्लॉग पर आने में थोडा वक़्त लगा पर कारण नहीं जानना चाहोगे, अरे भाई मै गयी थी सारे आंकडे इकठ्ठा करने.अब पता चला कि ये सारे आंकड़े शत प्रतिशत सही हैं और उनका विवरण चौकाने वाला

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  9. bahut umda rachna hai....

    statastics had incluenced our life in big way... emotions taken a back seat and even on personal front stats matter that who had done what...

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  10. कैसा भी हो समय
    नहीं बदलते
    दिलों के आंकड़े
    जो करते है
    प्यार

    sundar saar!

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