यह शब्द
है सबसे छोटा
लेकिन
सबसे
व्यापक,
यह है
'मैं '
इस मैं ने
जहाँ
बनाया है
दुनिया को
बेहद खूबसूरत
वही
बदरंग भी हुई है
अपनी दुनिया
इसी मैं की
जिद्द में
युद्ध के बीज
इसी मैं ने
बोये हैं जहाँ
वही मैं ने
दिया है
शांति का सन्देश भी
मैं ने
ए़क ओर पैदा किया है
द्वेष और हिंसा
वहीँ
प्रेम का सन्देश दे
समर्पित भी हुए हैं
मैं
मैं
समा जाना चाहता हूँ
तुम्हारे मैं में
कि बन जाएँ
हम
Behad sundar! Yahi "mai" jab 'aham'ban jata hai to mati bhrasht ho jati hai!
जवाब देंहटाएं'मैं' ने ही तो की थी शरारत
जवाब देंहटाएं'मैं' ने ही तो रची महाभारत
इस मैं ने तो न जाने क्या क्या करवाया
waah sahi kaha main mar gaya to sab achcha ho jayega...
जवाब देंहटाएंsahi kaha ye mein kya kya nahi karati...jo na hona ho iske karan ho jata hai
जवाब देंहटाएंमै को लेकर खूबसूरत भाव दिए आपने .बधाई
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने "मैं" ही तो सारे फसादों की जड़ है - बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया...इस मैं के कारण ही तो इतने फसाद होते हैं
जवाब देंहटाएंमैं
जवाब देंहटाएंसमां जाना चाहता हूँ
तुम्हारे मैं में
कि बन जाये
अपनी दुनिया
सबसे खूबसूरत
mai ke kai roop ujagar karti ek umda rachna..
main to bas ek aham hai....hum hote zindagi aasaan ho jati hai
जवाब देंहटाएंमैं तो केन्द्र है.मैं से वास्तविक प्यार करना समस्त कायनात से प्रेम करना है .जिसने मैं को समष्टिगत कर लिया -फिर कुछ करने को बचता ही कहाँ है .बढ़िया कविता है .
जवाब देंहटाएंमै को लेकर खूबसूरत भाव.
जवाब देंहटाएं...बढ़िया कविता है